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किसी को आग में ठंडक,कोई पानी में जलता है

मेरी रचनाएँ
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किसी को आग में ठंडक,कोई पानी में जलता है
किसी के पाँव बहके हैं,कोई घुटनों से चलता है

मैं हूँ हैरत में जो देखा,अज़ब सी जिंदगानी को
कोई महलों में रहता है,कोई सड़कों पे पलता है

उसी की जीत होती है,जो है दौलत से ताक़तवर
जो है कमज़ोर और बेबस वो,केवल हाथ मलता है

जन्मदिन वो मनाते हैं,बड़ी खुशियों से रातों को
हक़ीक़त दिल से समझो तो,उमर एक साल ढलता है

दफ़न कर देता है वो,नाम तक भी खानदानो के
सहारे नाम से जिसके ये सारा गाँव चलता है

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