मेरी रचनाएँ
- 52 Posts
- 55 Comments
देखा है आज हमने लोगों को आज़माकर
देते हैं लोग धोखा दिल के करीब आकर
चोटें सहीं हैं हमने बर्बाद-ए-मोहब्बत के
लो टूट गया पत्थर इक शीशे से टकराकर
लगता है डर सा अब तो मुस्कान देख उनकी
रखें हों उसने शायद खंज़र कहीं छिपाकर
मालिक ! मेरे बता तू वो खो गया किधर है
इक सांस ले सकूँ मैं जिसकी तलाश पाकर
मेरे बीमार दिल की बस एक ही दवा है
रुखसत वो मुझको कर दे,और देखे मुस्कुरा कर
Read Comments