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न तुझे पता न मुझे ख़बर…

मेरी रचनाएँ
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न तुझे पता न मुझे ख़बर…
यूँ मिली थी तुझसे मेरी नज़र

तेरी सादगी पे फ़िदा हुआ
मेरा दिल भी मुझसे जुदा हुआ
नहीं होश कुछ भी कि क्या हुआ
जो भी हुआ, तुझे देख कर !

हूँ जब भी आँखे मैं मूंदता..
तुझे अपनी ख्वाबों में ढूंढता
जब सब्र का मुझे फल मिला
था वो रात का पिछला पहर !

मुझे ग़ैर से, हो क्यूँ वास्ता
जो मुझे पता है ये रास्ता
ये है दिल तेरा ,मेरी दिलरुबा
न ये गाँव है न कोई शहर !

मेरी ज़िन्दगी की शान है
जीने की तू अरमान है
तुझ पर मुझे अभिमान है
मेरे दोस्त मेरे हम सफ़र !

तेरी जीत मैं मेरा हार तू
मेरा अलग संसार तू
बिछड़ा जो मुझसे यार तू
टूटे मेरे दिल पर कहर !

जब ज़िन्दगी की शाम हो
लब पर तेरा ही नाम हो
तेरे दिल में वो स्थान हो
मर कर भी हो जाऊं अमर !!

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