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रुकिये ज़रा हुजुर हमसे बात कीजिये…!

मेरी रचनाएँ
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रुकिये ज़रा हुजुर हमसे बात कीजिये
दो पल ही सही आप मुलाक़ात कीजिये

ख़ामोश ये फ़िज़ा है तेरे इंतज़ार में
अपनी ज़ुबां से लफ़्ज़ों की बरसात कीजिये

चेहरे पे ऐसा नूर है सूरज भी ग़ुम हुआ
जुल्फें गिरा के आप यहाँ रात कीजिये

वीरान सी है ज़िन्दगी ये आपके बगैर
अपनी वफ़ा से आप ही आबाद कीजिये

दो पल कि ज़िन्दगी यहाँ कल की खबर नहीं
राह-ए-वफ़ा में दिल का ज़रा साथ कीजिये

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