मेरी रचनाएँ
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बैर भाव सब भूल कर करो परस्पर प्रीत
ईश्वर तेरे द्वार खड़े, गाओ मंगल गीत !!
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भूखे को रोटी मिले और बेघर को छाँव
लूले को बाहु मिले और लंगड़े को पाँव !!
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सब कुछ सम्भव है जग में बस मन में तू ठान
करो मदद सब लोगों की उनको अपना जान !!
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