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एकता बलिदान और शान्ति का देता मंत्र है,
खूब फ़हराओ तिरंगा देश यह गणतंत्र है
दिन वो 26 जनवरी का सबसे गौरवमान था,
अखिल भारत में हुआ लागू वो संविधान था
खून से वीरों के ये लिक्खा हुआ इतिहास है,
कल हुआ आज़ाद भारत अब ख़ुदी का दास है
झूठ के रास्ते को छोड़ें सत्य अपनाते रहें,
हर बरस इस दिन को हम-सब यह क़सम खाते रहे
हैं मनाते आ रहे इस दिन को 65 साल से,
पर न मुक्ति पा सके हम झूठ के जंजाल से
आइए खुद न्याय कर लें आईने को देखकर,
फ़ायदा कोई नहीं कीचड़ में पत्थर फेंक कर
है रहस्यों से भरा चेहरा यहाँ इंसान का,
शक्ल तो साधू का है पर अक्ल है शैतान का
दूसरों की ज़ात को यूँ ना कभी भी आँकिये,
मशवरा देने से पहले अपने अन्दर झाँकिये
अब बरतिए एह्तियातें दूसरों के अर्ज़ पर,
दुश्मनी होती यहाँ है दोस्ती के तर्ज़ पर
मायने रखता नहीं कि आप इज्ज़तदार हैं,
ख़ुद कि नज़रों में सही पर आप भी ग़द्दार हैं
आज भी कुछ नौजवाँ चलते हैं नंगे पांव से,
रास्ता हर एक शहर का है निकलता गाँव से
है कटु पर बात सच्ची मुझसे मुंह ना मोड़िये,
शक्ल अपनी देख कर शीशे को यूँ ना तोड़िए
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