मेरी रचनाएँ
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झुकता नहीं कहीं भी कभी भी झुका नहीं,
ध्वज को गिरा दे ऐसी कोई हवा नहीं
झुकता नहीं कहीं भी…….
ये तिरंगा जाँ है अपनी ध्वज है ये राष्ट्र का
उजला,हरा,केसरिया….. रंगों से ये बना
सुन्दर सा ऐसा ध्वज है कोई दूसरा नहीं
ध्वज को गिरा दे ऐसी…….
ये ध्वज है शान अपनी,झुकने न दें कभी
इसे देख दुश्मनों की हालत दबी रही
ग़द्दार वो है इसको जो जानता नहीं
ध्वज को गिरा दे ऐसी…….
इज्ज़त बचाने इसकी इतने बहे लहू
जाँ देके ख़ुद बचाएं हम इसकी आबरू
दो पल में टूट जाए वो हौसला नहीं
ध्वज को गिरा दे ऐसी…….
आओ सलाम कर लें इस प्यारे झंडे को
संदेस शान्ति का ये देता है दोस्तों
कुन्दन कहे कि ध्वज से कोई बड़ा नहीं
ध्वज को गिरा दे ऐसी…….
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