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अपना ग़म अक्सर यूँ ग़ैरों से छुपाओ तो सही

मेरी रचनाएँ
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अपना ग़म अक्सर यूँ ग़ैरों से छुपाओ तो सही
ग़म का साया दूर होगा मुस्कुराओ तो सही

रास्ते है जो भी पत्थर ख़ुद-ब-ख़ुद हट जाएगा
हौसला मज़बूत कर तुम बढ़ते जाओ तो सही

सेज गर फूलों का हो तो नींद अच्छी क्यों न हो
काटों के बिस्तर पे सो कर अब दिखाओ तो सही

ज़िन्दगी कुछ भी नहीं बस एक महज संघर्ष है
वीर की तरह इसे जी कर दिखाओ तो सही

ये ज़माना कुछ भी कर ले हौसला मत हारना
एक क़दम आगे बढ़ाकर मुस्कुराओ तो सही

अब तेरे घर पर भी खुशियों का उजाला आएगा
दूसरों के बुझते दीपक को जलाओ तो सही

जान ले इतना कि ‘कुन्दन’ तू अकेला है नहीं
बस ख़ुदा को भूलकर ख़ुद को बुलाओ तो सही

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